tarot.ideazunlimited.net.Ten of pentacles

टेन ऑफ पेंटाकल्स

For English please Click here
कृपया एमेजोन से खरिदिए
कृपया फ्लिपकार्ट से खरिदिए
हमसे डायरेक्ट खरिदिए +91 9723106181


अपराईट भविष्य कथन का महत्व



धन, संपत्ति, स्थिरता, वित्तीय सुरक्षा, परिवार, दीर्घकालिक सफलता, योगदान।

इस कार्ड के अनुसार आपके पास धन, संपत्ति, स्थिरता बहोत जल्द आएगी। और अगर पहले से है तो और भी बढती जाएगी। आपको जिस वित्तीय सुरक्षा की तलाश है वह भी धीरे धीरे आपको प्राप्त हो रही है।

राजा श्रेयल और रानी चांगुणा के जैसे शिवजी आपकी हमेशा परिक्षा लेते रहते हैं। अतिथि के रूप में शिवजी भोजन करते समय अचानक रुक गए। शिवजी ने बच्चे का मांस मांगा। लेकिन अतिथी धर्म निभाते वक्त रोने न देने की शर्त रखी गई। माता-पिता ने बच्चे को टुकड़ों में काट दिया। अत्यंत सख परिक्षा लेने के बाद शिवजी प्रसन्न हुए । बच्चा भी जीवित हुआ राजा श्रेयल और रानी चांगुणा को उनका राज पाट भी लौटाया गया।

आप के लिए सबसे ज्यादा मूल्यवान आपका परिवार है। आपको हमेशा प्लान के साथ चलने की आदत है। जिसके परिणाम स्वरूप आपको दीर्घकालिक सफलता प्राप्त होती है। जिसमें आपका योगदान भरपूर होता है। तन मन धन से आप अपने आप को उस काम में समर्पित हो जाते हैं इसलिए बेहतरीन परिणाम आते हैं।

रिवर्स भविष्य कथन



सुस्त, आलस्य, दुर्भाग्य, धन का काला पक्ष, वित्तीय विफलता या हानि

आपका स्वभाव आलसी नहीं है लेकिन आजू बाजू का माहौल सुस्त हो जाता है तो आपके अंदर भी आलस्य भर जाता है। आपने कभी दुर्भाग्य का सामना नहीं किया है।लेकिन आपको सावधान रहने की जरूरत है।आपने कभी धन का काला पक्ष जाना नहीं है लेकिन सोच समझकर कदम उठाईये।अन्यथा वित्तीय विफलता या हानि का सामना करना पड सकता है।

युरोपिय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु



गाव के बाहर मेहराब के नीचे दो महिलाएं आपस में बात कर रही हैं। एक बच्चा अपनी मां के साथ है। एक सफेद दाढ़ी वाला बूढ़ा आदमी सड़कों पर फल बेच रहा है, लेकिन उसे बेचने में कोई दिलचस्पी नहीं है। दो कुत्ते बूढ़े आदमी से कुछ खाने की उम्मीद कर रहे हैं। सभी दस पेंटाकल्स सममिति में फैले हुए हैं।

प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड अभ्यास वस्तु


एक आदर्श भारतीय परिवार के भोजन का समय इसी प्रकार से जमीन पर बैठता हैं। वे केले के पत्तों पर भोजन करते हैं। केले के पत्तों के दो भाग होते हैं। ऐसा माना जाता है कि भगवान राम ने एक बार हनुमान से उनके साथ भोजन साझा करने के लिए कहा था। हनुमान भगवान के अनुयायी थे इसलिए उन्हें सन्कोच हो रहा था। फिर भगवान राम ने बीच में एक रेखा खींची और इस तरह केले (और हर एक) पत्ते के दो भाग हो गए।

वैसे भी यह एक आदर्श भारतीय परिवार है जो मेहमान को खाना दे रहे है।

एक आदमी जवान है, दूसरा दाढ़ी वाला उम्रदराज़ आदमी है। अपनी विशिष्ट भारतीय पोशाक में गृहिणी उन्हें भोजन परोस रही है। भारत में महिलाएं सभी को परोस कर बाद में स्वयं भोजन लेती हैं। मेहमानों को पका हुआ कुल भोजन की मात्रा दिखाना या रसोई के बर्तन दिखाना संस्कृति के खिलाफ माना जाता है। पश्चिमी संस्कृति में, सब कुछ मेज पर रखा जाता हैं...

यह छोटेसे साम्राज्य का राजा श्रेयल है, उनकी पत्नी चांगुणा, उनका पुत्र बाल चिलिया और आदमी भेष में भगवान शिवजी हैं।

राजा श्रेयल और रानी चांगुणा शिव के भक्त थे। इसलिए शिवजी ने उनकी भक्ति की जांच करने का फैसला किया।

श्रेयल और चांगुणा को शिव ने अपने जीवन के उत्तरार्ध में माता-पिता बनने का आशीर्वाद दिया था। अतिथि के रूप में शिवजी भोजन करते समय अचानक रुक गए। शिवजी ने बच्चे का मांस मांगा। लेकिन अतिथी धर्म निभाते वक्त रोने न देने की शर्त रखी गई। माता-पिता ने बच्चे को टुकड़ों में काट दिया। बच्चे का सर एक तरफ पड़ा हुआ था। अतिथि ने सर को भी कूटकर चटनी बनाने को कहा।

जब वे पुन: खाना शुरू करते हैं तो मेहमान उनसे कहते हैं, 'एक समस्या है, मैं निःसंतान परिवार में भोजन नहीं करता। आपका बच्चा कहाँ है..? उसे बुलाएं।'

(विस्तृत कहानी।)

बाळ चिलिया की यह लोक कथा महाराष्ट्र और कर्नाटक में सुनने के लिए मिलती है। इस कहाँनी पर अनेक गीत रचे गए हैं। अनेक रीजनल फिल्मस बनाई गई हैं। यह कहाँनी केवल प्राकृत भाषा में कहीं लिखी हुई पाई जाती है। महाराष्ट्रिय एवं कर्नाटकीय लोक संस्कृति का यह एक अहम हिस्सा है।

कुछ हजार साल पहले की बात है। आज के महाराष्ट्र और कर्नाटक के बीच में एक राज्य था जिसपर राजा श्रेयळ और रानी चांगुणा राज करती थी। दोनों के राज्य में सुबत्ता थी। जनता के हित के लिए दोनों काम करते थे। परंतु विवाह के बारह साल पश्चात भी दोनों नि:संतान थे।

एक साधु महात्मा ने उन्हे सलाह दी की माता पार्वति और भगवान शिवजी की उपसना वो शुरू करे। पुत्र प्राप्ति के लिए कडक निर्जला उपवास दोनों ने किए। फलस्वरूप उन्हे पुत्र रत्न प्राप्त हुआ।

पुत्र का नाम बाळ चिलिया रखा गया। चिलिया बाळ साक्षात बाल कृष्ण के जैसा तेजस्वी और प्यारा था। अपने लाडले को राजा आंख से ओझल भी नहीं होने देता था। माँ का तो वह दुलारा था। दिन सुख से कट रहे थे। और चिलिया बाळ बडा हो रहा था। तभी अचानक एक दिन एक उम्र दराज आदमी ने दरवाजे पर दस्तक दी।

दोपहर का वक्त था। भोजन करके अपनी सन्तान के साथ दोनो पति पत्नी विश्राम कर रहे थे। फिर भी चेहरे पर मुस्कान लिए अतिथी का स्वागत किया गया। अतिथी बोले, 'चार दिनों से चल रहा हूँ बडी जोर से भूख लगी है कुछ भोजन परोसे। और भोजन केवल रानी ही बनाएगी, बनाते वक्त रोना नहीं है। नहीं तो मैं बिना अन्न ग्रहण करके चला जाऊंगा।'

रानी को यह बात थोडी विचित्र लगी, फिर भी अतिथी धर्म निभाने के लिए वह रसोई मे जुट गई।

थोडी देर के बाद अतिथी ने बताया कि भोजन में उसे मनुष्य का मांस चाहिए। राजा श्रेयळ ने तुरंत अपनी तलवार निकाली और अपनी जंघा को काटने लगा। तो अतिथी ने मना किया। तो रानी बोली की मेरा मांस काट दो। फिर भी अतिथी ने मना किया। अतिथी बोला मुझे आपके बच्चे का मांस चाहिए।'

दोनों पति पत्नी की आंखों में आसूँ आ गए लेकिन रसोई बन रही थी और रसोई बनाते समय ना रोने का वादा था। दोनों गहरी सोच में पड गए। एक जगह पर धर्म था तो दुसरी जगह पर पुत्र प्रेम।

माता पिता को सचिंत देखकर चार साल का बाळ चिलिया माँ के पास दौडकर आया और चिंता का कारण पूछा। माँ ने दिल पर पत्थर रखकर सम्पूर्ण वाकिया सुनाया। बाळ चिलिया मुस्कुयारा और उसने अपने हाथों से कोने में पडी तलवार उठाकर पिताजी के पास दी। और बोला,'पिताजी आप अपना अतिथी धर्म निभाईये।' बाळ चिलिया के मास का भोजन तैयार हो ही रहा

था, कि अतिथी ने पूछा,'कोने में क्या पडा है?' रानी चांगुणा ने बताया वो उसके बच्चे का सर काटकर रखा है। अतिथी ने फिरसे कहा उस सर को कूटकर चटनी बनाकर परोसी जाए। बिना आंसू टपकाए रानी चांगुणा ने अपने लाडले का सर कूटने के लिए लिया और उसकी बारीक चटनी बनाई।

भोजन तैयार हुआ। अतिथी भोज के लिए बैठे। उसने कहा,' मैं बताना चाहूँगा कि मैं सिर्फ वहीं भोजन करता हूँ जिनका घर धन धान्य से भरा हो। जिनके घर आंगन में बच्चे खेल रहे हो। आप पति पत्नी तो नि: संतान है। मैं आपके घर में कैसे भोजन कर सकता हूँ? आप अपने बच्चे को बुलाइए।'

पति पत्नी दोनों सकपका गए। फिर भी रानी ने बच्चे को प्यार से आवाज दी। और चमत्कार हुआ बाळ चिलिया दौडता हुआ अंदर आया। भोजन स्वदिष्ट पंचपक्वान मंर बदल गया। राजा श्रेयळ और रानी चांगुणा हाथ जोडकर खडे हो गए। शिवजी अपने मूल रूप में प्रकट हुए।

इस तरह अपने भक्तों की कडी से कडी परिक्षा भगवान शिवजी लेते हैं।





प्राचीन भारतीय टैरो कार्ड

द फूल

द मैजिशियन

द हाई प्रिस्टेस

द एम्प्रेस

द एम्परर

द हेरोफंट

द लवर्स

द चैरीओट

द स्ट्रेंग्थ

द हरमिट

द व्हील ऑफ फॉर्चून

जस्टिस

द हैंग्ड मैन

द डेथ

टेम्परंस

द डेविल

द टावर

द स्टार

द मून

द सन

जजमेंट

द वर्ल्ड

एस ऑफ कप्स

टू ऑफ कप्स

थ्री ऑफ कप्स

फोर ऑफ कप्स

फाइव ऑफ कप्स

सिक्स ऑफ कप्स

सेवन ऑफ कप्स

एट ऑफ कप्स

नाइन ऑफ कप्स

टेन ऑफ कप्स

पेज ऑफ कप्स

नाईट ऑफ कप्स

क्वीन ऑफ कप्स

किंग ऑफ कप्स

एस ओफ स्वोर्ड्स

टू ओफ स्वोर्ड्स

थ्री ओफ स्वोर्ड्स

फोर ओफ स्वोर्ड्स

फाईव ओफ स्वोर्ड्स

सिक्स ओफ स्वोर्ड्स

सेवन ओफ स्वोर्ड्स

एट ओफ स्वोर्ड्स

नाइन ओफ स्वोर्ड्स

टेन ओफ स्वोर्ड्स

पेज ओफ स्वोर्ड्स

नाईट ओफ स्वोर्ड्स

क्वीन ओफ स्वोर्ड्स

किंग ओफ स्वोर्ड्स

एस ओफ वांड

टू ओफ वांड

थ्री ओफ वांड

फोर ओफ वांड

फाइव ओफ वांड

सिक्स ओफ वांड

सेवन ओफ वांड

एट ओफ वांड

नाइन ओफ वांड

टेन ओफ वांड

पेज ओफ वांड

नाईट ओफ वांड

क्वीन ओफ वांड

किंग ओफ वांड

एस ऑफ पेंटाकल्स

टू ऑफ पेंटाकल्स

थ्री ऑफ पेंटाकल्स

फोर ऑफ पेंटाकल्स

फाईव ऑफ पेंटाकल्स

सिक्स ऑफ पेंटाकल्स

सेवन ऑफ पेंटाकल्स

एट ऑफ पेंटाकल्स

नाइन ऑफ पेंटाकल्स

टेन ऑफ पेंटाकल्स

पेज ऑफ पेंटाकल्स

नाईट ऑफ पेंटाकल्स

क्वीन ऑफ पेंटाकल्स

किंग ऑफ पेंटाकल्स